मैथिली कविता – दिआ बरैत रहए
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ पर्वतमे, नदियामे, नहरमे, गाम शहरमे, हावा, पानि, माटि, आगि, इट आ पाथरमे, सभक मनके लहरिमे दिआ…
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ पर्वतमे, नदियामे, नहरमे, गाम शहरमे, हावा, पानि, माटि, आगि, इट आ पाथरमे, सभक मनके लहरिमे दिआ…
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ देखू उगलैह कोजगराक चान । आयल ससुरारिसँ पान मखान । देखू शरद पुर्णिमाक चान ।। देखू…
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ दूर्गा पूजाक अवसर पर, भेटैत अछि सुन्दर संस्कार । जीत भेल अछि सत्यके, झुठक भेल…
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ नवरात्राक पुजा शुरु भएरहल अछि । सम्पुर्ण भगवतीक मठ मन्दिरमे, घटक स्थापना भरहल अछि ।…
♦ राकेश कुमार झा ‘रसिक’ जितीया पावनि बड़ भारी । ई पावनि करैत छथि नारी ।। औगठनमे दही चुराक…
राकेश कुमार झा ‘रसिक’ श्री गणेशजी क उत्सव श्रद्धा आविश्वासक, आशा आ उल्लासक, दृश्य एक अभिनव । श्री गणेशजी क…
– राकेश कुमार झा ‘रसिक’ दहेजक चलल उठल वतास, बरकपिता लेलनि साँस । डाक्टरक पचास लाख, इन्जिनियरकें पचीस, कन्याक पिताके…
राकेश कुमार झा ‘रसिक’ चलि पडल छलहु एक विचारक मंथन संग । बहि गेल छलहु अनजान एक बहावमे हम ।।…
राकेश कुमार झा ‘रसिक’ लेखक राकेश कुमार झा ‘रसिक’ कविता आ कथा समान रुपसँ लिखैत छथि । नापी कार्यालय महोत्तरीक…