मैथिली कविताः आम
– सुधिरचन्द्र आचार्य हिलबैछी गाछ तs खसैय आम चोभाजे मारलौ तs कामे तमाम मन अछि मालदs पर पाकलमे खायब गोरल…
– सुधिरचन्द्र आचार्य हिलबैछी गाछ तs खसैय आम चोभाजे मारलौ तs कामे तमाम मन अछि मालदs पर पाकलमे खायब गोरल…
– चन्द्रकिशोर कहियो सुसकैय कहियो घेघिआईय शब्द गुमसुम परल रहैय जस के तस लेकिन पुरान बाकस जकां बचैले हय…