मैथिली व्यंग्य कथा – एकसय पचास किलोक माला
♦ ई. विनोद चन्द्र ‘मन्त्री मेबालाल जिन्दावाद !’, एक गोटा नारा लगौलक । सभ साथ देलकै, ‘जिन्दावाद– जिन्दावाद !’ जिन्दावाद,…
♦ ई. विनोद चन्द्र ‘मन्त्री मेबालाल जिन्दावाद !’, एक गोटा नारा लगौलक । सभ साथ देलकै, ‘जिन्दावाद– जिन्दावाद !’ जिन्दावाद,…
ई. विनोद चन्द्र ‘हम साइन्स लक आइ.एस्सी.(अखनका प्लस टू)पढब । ’,पुत्रक प्रश्न छलै । ‘हमरा पासमे पाइ नहि अछि। शिक्षक…
ई. विनोद चन्द्र ‘दाइ,अहाँ त घरमे आराम करितहुँ । ई की करैत छी? घरमे केओ नहि अछि कि ? ’,…
ई.विनोद चन्द्र नवयुवक दीपनारायण नोकरी करैत पढबाकलेल जनकपुरमे आयल छलाह मुदा ओ जकरा भरोसे आयल छलाह ओ एतऽ अखन नहि…
ई. विनोद चन्द्र ‘बाबू, हमहु जायब ….. हमहु जायब ।’, बेटा–बेटी दुनू एकहिबेर झौल करऽ लगलनि ।पत्नी कातमे शव्द बिहीन…
ई. विनोद चन्द्र प्राचीन मिथिला राज्यक राजधानीक रुपमे जनकपुरके वर्णन वाल्मिकी रामायण, तुलसीकृत रामायण लगायत अन्य अनेको वेद, पुराण,…
ई. विनोद चन्द्र आइ दीयाबातीके राति चारुभर झिलमिल बिजलीबत्ती आ दीप जगमगाक, संसारक सभ तरहक अन्हारके मेटाबमे लागल छल ।…
ई. विनोद चन्द्र ई. विनोद चन्द्र मेथिलीक चर्चित लेखक छथि । कविता, कथा धुरझार लिख रहल छथि । व्यंग्यपर…
ई. विनोद चन्द्र सरीताक आँखि अश्रुसँ लवलवा गेलनि । धीरजके बान्ह छिन्न भिन्न भऽ आँखिसँ धाराक रुपमे बह लगलनि,…