मैथिली कथा – अर्थहीन यात्रा
♦ सुजीत कुमार झा अपन बातक क्रम समाप्त कऽ नेहा घरसँ निकललथि कि हम केबार वन्द कऽ भितर आबि गेलहुँ ।…
♦ सुजीत कुमार झा अपन बातक क्रम समाप्त कऽ नेहा घरसँ निकललथि कि हम केबार वन्द कऽ भितर आबि गेलहुँ ।…
♦ देवीकान्त मिश्र काग राम राम कहि जगबै मधुर भाससँ कोइली, साँझ आँचरतर मुस्कैत आबय मिथिलेमे हम देखली, भैया कोना बिसरलेँ…
♦ कालीकान्त झा ‘तृषित’ श्रीराम परमप्रियभक्त अहां, संकटमोचन बजरंगबली। छी रूद्र एकादश स्वयं अहां, भव भय मोचन बजरंगबली।। हे अष्टसिद्धि नव…
♦ मणिकांत झा दीप स्नेहक जराबी अपन मन मे राग द्वेषहु मिझाबी अपन मन मे। प्रेमक दीया आ प्रीतक बाती अमवस्या…
डा. विजय दत्त भुरुकवा तारा उगलो नइ रहैक । तखनहि पुरना टोलमे आगि लागलक हल्ला हुअए लगलैक । गामक लोकसब…
♦ राम भरत साह १ हमरा ऐना प्यसल छोरि सामने बहैत दरिया छोरि, जीवन के कि करब मोल महंगा लिय सस्ता…
ई आदर्श कथा सुजीत कुमार झाक जिद्दी कथा संग्रहसँ लेल गेल अछि । मैथिली भाषामे हुनक १५ टा पुस्तक प्रकाशित…
♦ कालीकान्त झा ‘तृषित’ जरलै कीदन… तकर नहि चिन्ता, मारि करै छै भगबे लए। हेहरा पाछा गाछ जनमलै, नंगटे नाचए…
♦ मणिकांत झा गे बहिना मनुआँ हमर भीतर सँ औनाइए मुँह सँ नहि बाजल जाइए गे। बाजय कौआ चढ़िकय चार मन…
♦ प्रदीप बिहारी कमल नयन मिश्र एखनो ओहने छथि। मोन पर बयसक प्रभाव एको रत्ती नहि पड़लनि अछि, मने। मुस्किआइत छथि…