प्रेम झा
चिन देशसँ आएल मास्टरनी, घुमि घुमि लैया क्लास गे
मूर्ख बुझैया नेपाली नेता के, जग भरी होई उपहास गै
खोकला राष्ट्रवादी के जमघट, लिडर मूर्ख चपाट गे
मन मौजी करे ई लिडर, वाँकी धरे कपार गे
भ्रष्टाचारी के करे वकालत, असगरे चलवे सरकार गे
वाँकी सबके मुह तकाबे, ई केलक देशक बण्टा धार गे
जनतासभ देलक पूर्ण बहुमत , तैयो नै स्थिर सरकार गे
अहंकारमे डुबल ई शासक , ई रचलक नव प्रसाद गे
कि कि पढेलक ई मास्टरनी , कथित स्वाभिमानी नेता नेपाली के
करोना सकँट सँ ग्रसित ई जनता , मुह ताके जनप्रतिनिधि के
जाग हौ पशुपतिनाथ महादेब, जनता भेलह तबाह हौ
कि करी हम निमुखा जनता , तोही हमर गबाह हौ
चिन देश स आयल मास्टरनी , घुमि घुमि लैया क्लास गे
मूर्ख बुझैया सभ नेता के, जग मे होइया उपहास गे
