मैथिली गीत – छठि मैया

Byदूधमती साप्ताहिक

२ मंसिर २०८०, शनिबार १५:३७ २ मंसिर २०८०, शनिबार १५:३७ २ मंसिर २०८०, शनिबार १५:३७

 डा. विजय दत्त

“दीपज्योति :परंव्रम्ह है,

दीपज्योति सब मुल !

दीपज्योति पाप हरत,

दीपज्योति है कुल !!

दुअरे पोखरी खुनाइ द

सजन छठि मैया के पुजब हो । ….२

सुरुज के पुजब अादित्यके पुजब

अंचरा पर नटुवा नचाइ द

सजन छठि मैया के पुजब हो । ….२

गंगा कनारे से जलबा भरेबै गंगासागरमे

कलशा चढेबै धनुषामे पियरी चढेबै

सजन छठि मैयाके पुजब हो …२

कोशी किनारेसे केरा मंगेबै घरिहर्वामे “घौरे”चढेबै

बाबा जलेश्वर पुरेबै सजन छठि मैयाके पुजबै हो …२

माछ अा मरुवा मलंगवामे छोरबै

गाई के गोबरसे अंगना निपेबै

श्यामा माईके गोहरेबै

सजन छठि मैया के पुजबै हो ….२

चान सुरुजके साछी मे रखबै

सौझका अरग अादित्य चढेबै

भोरेमे “माता” के मनेबै

सजन छठि मैया के पुवबै हो ….२

लेखक बारे