‘काठमाण्डूके तँ नहि मुदा विराटनगर जाएवला अधिकांश रेफर भेल
रोगीके रोकएके हमरासभके क्षमता अछि, मुदा रोगीसभके काब्यामे आबए पड़लैक,’ काब्या हाँस्पिटलक सञ्चालक डा. एसके सिंह दाबी करैत छथि । ‘बहुत रोगी एम्बुलेन्स चालकक सलाहपर सेहो विराटनगर जाइत छथि, जे आवश्यक नहि रहैत अछि,’ हुनक कहब अछि ।
♦ सुजीत कुमार झा
काब्या हाँस्पिटलक सम्बन्धमे सामाजिक सञ्जालमे किछु दिन पहिने आलोचनात्मक बातसभ आबि रहल छल । जाहिसँ डा. एसके सिंह बहुत निरास जकाँ भऽ गेल छलाह । मुदा जहिना आलोचनाक खबरि आएल, हुनका पक्षोमे तहिना खबरि आबए लागल । पक्ष बिपक्षक बीच फेरसँ ओ ओहि सक्रियताक संग काज करए लगलथि ।
एकटा दार्शनिक कहने छथि – समस्यासँ भागब माने दोसर समस्याके निमन्त्रण देब अछि । जीवनमे चुनौती आ समस्यासंग लड़ए(जुधए) पड़ैत अछि, इएह जीवनक सत्य अछि । एकटा शान्त तलाउमे कोनो मलाह कुशल बनए नहि सकैत अछि । ‘ई हमहुँ बुझैत छी, तँए जीवनमे किछु समस्या सभ आएल मुदा इमान्दारिताक संग लागल रहलहुँ ओ समस्यासभ अपने समाधान भऽ गेल,’ डा. सिंह कहैत छथि ।
कहल जाइत अछि – जीतब आ हारब ई तँ स्वयंके सोचपर निर्भर करैत अछि, मानि लिअ तँ हार हएत आ ठानि लिअ तँ जीत हएत । ओ स्वयं स्वीकार करैत छथि, ‘हरेक समय चुनौतिके स्वीकार करबाक चाही, एहिसँ सफलता भेटत वा शिक्षा ।’
डा. सिंह माने डा.सुधेन्दू (एसके) सिंह । जनकपुरधामक चर्चित फिजिसियन । जनकपुरधामक नम्बर वन नरसिंह होम काब्या हाँस्पिटलक सञ्चालक । स्थापनाके ६ वर्षमे जनकपुरधामक नम्बर वन नरसिंह होम बनाएब हुनक सफल नेतृत्वक नतिजा अछि । हुनक पिताजी बराबर कहैत रहैत छलथि, ‘जाहिदिन नोकरी भेट जाए, ओहिदिन नोकरी एना करी जे स्वयंके बिजिनेस करैत छी । कहिओ विजिनस करएके अवसर हुए तँ ओहि अनुशासन इमान्दारी सँ करी, जेना ककरो ओहिठाम नोकरी करए जाइत छी ।’ ई बात जीवनक आगाँ बढ़ावएमे हुनका प्रेरणाक काज करैत रहैत अछि ।
अपने जमीन पर जनकपुरधाममे कमे लोक अस्पताल खोलने छथि । किओ गुठीक जमीनपर, किओ कोनो व्यक्तिक जमीन लीज लऽ नरसिंह होम खोलने छथि । मुदा काब्या संग एना नहि अछि । ‘हमरो लग दोसराक जमीन वा गुठीक जमीनपर नरसिंह होम खोलएके विकल्प छल मुदा जे संरचना निर्माण कऽ रहल छी ओकर आयु ६०–७० वर्षक होबएक चाही, फेर अपना जमीनपर कोनो हरहर खटखटक परेशानी सेहो नहि हएत, हमर कनियाँक सेहो किछु एहने सोच छल,’ डा. सिंह कहैत छथि । डा. सिंहक कनियाँ डा. सोनिया सिंह छथि । ओ जनकपुरधामक चर्चित गाइनी सेहो छथि ।
स्थापनाक ६ वर्षमे रोगीसभक आकर्षणक केन्द्र काब्या बनल अछि । कोरोनाकालमे अधिकांश गम्भीर रोगी एहिमे उपचारक लेल अबैत छल । ओ अस्पतालमे न्यूरो सर्जरी, युरो सर्जरी, ल्याप्रोस्क्रोपीमे सभ, मासकुलर सर्जरी, इकोकार्डियोग्राफी, इन्डोस्कोपी, वाइपसी होइत अछि । आइसियु दोसर अस्पतालसँ काब्यामे अलग अछि । डा. सिंह कहैत छथि, ‘नेपाल सरकार जे गाइडलाइन देने छैक ओहि हिसाबसँ आइसियू, एनआइसियू रखने छी ।’
सफलताक सम्बन्धमे एकटा दार्शनिक कहने छथिन – एकटा सफल व्यक्ति ओ अछि जे दोसरद्वारा अपना उपर फेकल गेल ईटसँ एकटा मजगूत नेउ राखि सकैत छथि । अस्पतालमे गेलाक बाद किछु एहने अनुभूति होइत अछि ।
एतेक सुविधा भेलाक बादो जनकपुरधामक अस्पतालसभके रेफर अस्पताल किए कहल जाइत अछि ? चाह चर्चाक क्रममे ओ कहलन्हि, ‘सर्वसाधारण लोक सभसँ पहिने प्रादेसिक अस्पताल जनकपुरधाम पहुँचैत अछि, ओहिठाम रोगीक चाप अनुसार राखएधरिक क्षमता नहि छैक, पर्याप्त जनशक्ति नहि छैक तँए बाध्य भऽ कऽ रेफर करए पड़ैत छैक एहनमे निजि नरसिंह होमदिस कोनो चिकित्सक रेफर करत तँ बदनामी होबएके खतरा भऽ सकैत अछि, जनकपुरधामक बरु नहि मुदा विराटनगरक निजि नरसिंह होममे तँ रेफर कऽ पठाएल जाइत अछि । ओतहुँके कोशी अस्पतालमे कहाँ पठाओल जाइत अछि !’
‘काठमाण्डूके तँ नहि मुदा विराटनगर जाएवला अधिकांश रेफर भेल रोगीके रोकएके हमरासभके क्षमता अछि, मुदा रोगीसभके काब्यामे आबए पड़लैक,’ ओ दाबी करैत छथि । ‘बहुत रोगी एम्बुलेन्स चालकक सलाहपर सेहो विराटनगर जाइत छथि, जे आवश्यक नहि रहैत अछि,’ हुनक कहब अछि ।
काब्याक खुश्बु अछि सरसफाइ, पारामेडिकल स्टाफक व्यवहार । जे दोसरासँ फरक बनबैत अछि । सफलता हमरसभक छोट–छोट प्रयासक जोड़ अछि । अपन छोट–छोट काजमे सेहो अपन हृदय, दिमाग आ आत्माके लगा दिअ, इएह सफलताक रहस्य अछि । जखन देखी डा. सिंह अस्पतालक सुधारक योजनामे लागल रहैत छथि । जकर प्रतिफल ओ अस्पतालक प्रगतिसँ देखल जा सकैत अछि ।
डा. सिंह ई अस्पताल खोलएसँ पहिने विभिन्न अस्पतालमे काज कऽ चुकल छथि । एमबीबीएस कएलाक बाद विपि कोइराला अस्पताल धरान आ विपि कोइराला क्यान्सर अस्पतालमे सेहो काज कएने छथि । फेर एमडी कएलाक बाद नेशनल मेडिकल काँलेज वीरगञ्ज, कन्काइ अस्पताल वीर्तामोडमे काज कएने छथि । फेर जनकपुरधाम आबि गेलथि । अहुँठाम जानकी मेडिकल काँलेज सहित किछु नरसिंह होममे काज कएने छथि । अस्पताल भलहि खोलि लेने होइथ मुदा एखनो डा. एसके सिंह आ सोनिया सिंहक क्लिनीक दशरथ तलाउसँ अस्पताल जाएवला वाटमे अछि । ‘एकटा चिकित्सक भलहि नरसिंह होमक किए नहि सञ्चालक होइक मुदा पहिने चिकित्सक रहैत अछि ओहिमे बेसी प्रेम भेटैत अछि,’ ओ कहैत छथि ।
दोसर अस्पतालमे काज कएने छथि एकर फाइदा हिनका एखन भऽ रहल अछि । डा. सिंह स्वयं कहैत छथि, ‘दोसर अस्पतालसभमे काज करएके अनुभव काब्याके आगाँ बढ़ावएमे सहयोग कएलक ।’ काब्यामे पहिल मंगल दिन डायविटिज, दोसर मंगलदिन थायराइड, तेसर मंगलदिन दमरोगीक आ चारिम मंगलदिन प्रेसरक विशेष जाँच करैत छथि । डायविटिजक जाँच आ दबाइ सेहो निःशुल्क दैत छथि । स्वास्थ्य सम्बन्धि जागरुकताक लेल विद्यालयसभमे काब्या अन्तक्रिया कार्यक्रम करैत अछि । अन्तक्रिया कार्यक्रममे सहभागि विद्यार्थीसभके उपचारमे विशेष सुविधा देल जाइत अछि ।
१४ अक्टुबर १९७२ मे मनरासिसवा नगरपालिका ४ साढ़ामे जन्म लेनिहार डा. सिंहक माताक नाम सत्यभामा सिंह आ पिताक नाम जयनारायण सिंह रहल छन्हि । ई चारि भायबहिन छथि, जाहिमे एक भाय आ तीन बहिन छन्हि । हिनक पिता त्रिभुवन विश्वविद्यालयमे हिन्दीके प्राध्यापक रहथि ।
जानकी आवासीय माध्यमिक विद्यालय जनकपुरधाममे स्टैण्र्डर ४ धरि पढने छलथि वा ई कही अध्ययन काज ओतहिसँ हुनक शुरु भेल छल । फेर जनकपुरधामक सरस्वती नमूना माध्यमिक विद्यालयमे एसएलसीधरि, एएन काँलेज पटना विहारसँ आइएससी, पिएमसीएच धनवाद भारतसँ एमवीवीएस आ नैम्स वीर हाँस्पिटल, नेपालसँ एमडी कएने छथि ।
विवाह डा. सोनिया सिंहसँ भेल छन्हि । डा. सोनिया आरएमसिएच राँचीसँ गाइनी एमडी कएने छथि । हिनका दू पुत्र छन्हि । एकटा १० आ दोसर ७ कक्षामे अध्ययन कऽ रहल अछि । ‘डा.सोनिया शक्ति अछि, अस्पतालसँ लऽ कऽ जीवन प्रगतिमे हिनक भूमिकाके नजरअन्दाज नहि कऽ सकैत छी,’ डा. सिंह चाह चर्चाक क्रममे बेर–बेर कहैत छथि ।
‘परिवार महत्वपूर्ण बात मात्र नहि, ई तँ सभकिछु होइछ ।’ हलिउड अभिनेता माइकल जे. फक्स परिवारक सम्बन्धमे कएने टिप्पणी अछि ई । संसारभरि सुखक सभसँ बड़का स्रोत परिवारके मानल जाइत अछि । ओ स्वयं स्वीकार करैत छथि, ‘परिवार भीतर एक दोसराप्रति विश्वास होबए पड़लैक । एकद्वारा दोसराके सम्मान करए पड़लैक ।’
उपचारक अतिरिक्त डा. सिंह पर्यावरण मैत्री सेहो छथि । हिनका पर्यावरण मैत्री डाक्टरक रुपमे सेहो चिन्हल जाइत अछि । हिनक बगैचामे ७ सयसँ बेसी फुलक गमला अछि, चिड़ै–चुनमुनसँ लऽ कऽ कुकुर पोसने छथि । ओ स्वयं स्वीकार करैत छथि दैनिक ३ घण्टासँ बेसी अपन बगैचामे समय दैत छथि । कोरियावएसँ लऽ कऽ पानि पटावएधरिक काजमे हुनका खूब मन लगैत छन्हि । हिनक घरमे कुकुरक चारि प्रजाती अछि, परसियन कैट बिलारि रखने छथि । सुगा, पड़वा सहित विभिन्न चिड़ैसभ सेहो रखने छथि ।
पर्यावरण हमरसभक जीवनक अविभाज्य भाग अछि । पर्यावरण मानवी जीवनक पूरक भाग सेहो अछि । अर्थात हमरसभक जीवन पर्यावरणक रहैत मात्र परिपूर्ण भऽ सकैत अछि, पर्यावरणक बीना जीवनक कल्पना नहि कएल जा सकैत अछि । हवा, पानि, हरियाली, वनस्पति तथा वन्य प्राणी एहि बातक बीना मानवी जीवन कहिओ पूरा पूर्ण नहि भऽ सकैत अछि वा कही पनपि नहि सकैत अछि । बायोडायवर्सिटीक सुरक्षा सुनिश्चित करए हेतु पर्यावरण सरंक्षणक बहुत महत्व अछि । ई बातके ई बुझि रहल छथि ।
मनुष्य आधुनिक विश्वमे प्रवेश कएने होइतो मानवियता तँ हराएल नहि अछि । हरेबाको नहि चाही । लोकमे मानवियता कायमे रहल संकेत देबए दुःखीसभक सेवा आ सहयोगमे आगाँ बढ़ल हाथसभ प्रमाणित कऽ रहल अछि जतेक कोनो विज्ञान वा प्रविधिक विकास भेल होइतो लोकमे मानवियताक आवश्यकता अछि । मनुष्य कोनो समय कोनो समस्यामे परि सकैत अछि । लोकद्वारा कएल गेल सहयोग माने स्वयंक लेल कएने बचत अछि । अर्थात ई सामाजिक काजमे सेहो ओतवए सक्रिय रहैत छथि । दर्जनो समाजिक काजमे हिनक संलग्नता रहैत अछि मुदा ई काजके प्रचार–प्रसारमे आनएमे विश्वास नहि रखैत छथि ।
जनकपुरधाम मधेश प्रदेशक राजधानी सेहो अछि फेर एहिठाम एतेक अस्पताल खुजि रहल अछि एकरबादो मेडिकल हब किए नहि बनि पाबि रहल अछि ? एहि प्रश्नपर ओ कहैत छथि, ‘मेडिकल हब बनएके सम्भावना अछि । मुदा एहि लेल सभके संकल्पीत होबए पड़लैक । मधेश स्वास्थ्य प्रतिष्ठान सरकार बनेने अछि ओहिमे राजनीतिक लोकके नहि प्रोफेशनल लोकके राखए पड़लैक, धरान मेडिकल काँलेज पहिने केहन छल मुदा एखन केहन भऽ गेल अछि ! राजनीतिक शिकार ओ काँलेज भेल अछि तँए राजनीतिसँ एकरा बचावए पड़लैक । जानकी मेडिकल काँलेज नीजिस्तरक लोकद्वारा सञ्चालन कएलाक बादो डुबि गेलैक, एना किए भेल एकर खोजी करए पड़लैक ।’
‘सभ चाहैत अछि नीक हौउक मुदा चाहला मात्रसँ नहि हेतैक, योगदान आ त्याग दुनू करए पड़लैक,’ चाह चर्चाक क्रममे ओ आगाँ कहैत छथि ।
सफल व्यक्ति अपन विचार तथा ज्ञान दोसर व्यक्तिसंग बाँटैत अछि वा कही साझा करैत अछि । किछु एहने गुण डा. सिंहमे सेहो देखल जाइत अछि । दोसरसँ हिनक अलग पहिचान सेहो अछि ।
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