– सुधिरचन्द्र आचार्य
हिलबैछी गाछ तs खसैय आम
चोभाजे मारलौ तs कामे तमाम
मन अछि मालदs पर पाकलमे खायब
गोरल दशहरीके गरदा उडायब
रोहिणीया बिजु स करब लबान
भदबा, दृगशुल ने अन्हरीया इजोरिया
ताकले अछि दिन जखन डम्हरस सेनुरीया
आमक महिनामे याद आबे गाम
बनल बम्बईके चुसि चुसि खायब
बरकबा केरबाके बरके कर मारब
भेम्हा भकोसि कs हम लेब बिश्राम
काच कलकतिया अचार लाs राखब
आम्रपाली, परोरिया हम भारमे साठब
चमकैय चौरीया चन्दा समान