मैथिली कथा – व्यर्थक उड़ान
♦ सुजीत कुमार झा रबिदिन दिनभरि ममता अपन पतिकेँ प्रतीक्षा करैत रहलीह । घरक मुख्य द्वारपर कनिको आहट होइत छल हुनक…
♦ सुजीत कुमार झा रबिदिन दिनभरि ममता अपन पतिकेँ प्रतीक्षा करैत रहलीह । घरक मुख्य द्वारपर कनिको आहट होइत छल हुनक…
♦ डा. विजय दत्त सिन्दुर लिए यौ रघुवर शुभ लगन समैया –३ सिन्दुर लिए यौ पाहुन शुभ लगन समैया । हाथ…
कोरोनाकालमे जखन लकडाउन लागल छल, किओ घरसँ नहि निकलैत छल एहन समय राजीव झाक समाजसेवा देखए लायक छल । जानके…
♦ सुजीत कुमार झा कामनी मैडम काज समाप्त कएलाक बाद चश्मा उतारलीह । हुनका जाढ़क अनुभव भऽ रहल छल । आइ…
♦ राकेशकुमार झा ‘रसिक’ हरियरीसँ भरल अछि खेत खरियान । खुशी रहैत अछि जमीन किसान । सूर्यदेवसँ अछि हरियाली । सूर्यदेवसँ…
डा. विजय दत्त मिथिलामे बाजे सहनइया अबधसे आए रघुरैया । मुदित मगन भेल जनकपुर सारी हर्षित बर्षित सब नर –नारी…
जनकपुरधामक व्यवसायी क्षेत्रक एकटा हस्ती रहल सोनचाँदी व्यवसायी पवनकुमार ठाकुर कोलकतामे मजदूरक काज सेहो कएने छथि । हिनका कोलकाताक आरके…
♦ डा. विजय दत्त “दीपज्योति :परंव्रम्ह है, दीपज्योति सब मुल ! दीपज्योति पाप हरत, दीपज्योति है कुल !! दुअरे पोखरी खुनाइ…
♦ सुजीत कुमार झा घरक कलवेलक घण्टी बाजल । हमर परम मित्र सोहन गेटपर चुपचाप भाव हीन मुद्रामे ठाढ़ छलाह…
‘काठमाण्डूके तँ नहि मुदा विराटनगर जाएवला अधिकांश रेफर भेल रोगीके रोकएके हमरासभके क्षमता अछि, मुदा रोगीसभके काब्यामे आबए पड़लैक,’ काब्या…